Answer:
प्रिय मित्र!
हम पूरी कहानी का नाट्य रूपांतर नहीं करके दे सकते। हम आरंभ करके दे रहे हैं। शेष आप करने का प्रयास करें।
एक व्यक्ति – अरे! कल तेरा बेटा मरा है और आज तू खरबूजे बेचने आ गई।
बुढ़िया – भाई! क्या करूँ? खरबूजे न बेचूँ, तो अपने नाती और बहु को क्या खिलाऊँ?
दूसरा व्यक्ति – माई! थोड़ा दुःख तो मनाती। उस सभ्रांत महिला को देखो। तीन महीने तक बेटे का दुःख मनाती रही।
बुढ़िया – भाई! अमीर सारी जिन्दगी दुःख मना सकता है पर ये पापी पेट किसकी सुनता है। बच्चे तो शाम होते ही खाने की जिद्द करते हैं। उनका तो गला नहीं घोंट सकती न!
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